प्रश्न - मन को स्थिर कैसे करें ? उसका क्या उपाय है ?
मन स्थिर होता ही नहीं। वस्तुतः अस्थिरता - चंचलता का नाम ही मन है। इसलिए मन या तो होता है, या नही होता। मन या अमन ऐसी दो स्थितियां है। मन से सत्य संसार की भांति दिखता है, जैसा है। अमन से जो है, वह वैसा ही दिखता है। सत्य जैसा है, उसे वैसे ही जानना ब्रह्म है। शांत तूफान जैसी कोई चीज नहीं होती। वैसे ही शांत मन जैसी कोई चीज नहीं होती। मन अशांति का ही पर्याय है।
और तब उपाय का तो सवाल ही नहीं उठता। सब उपाय मन के ही है। मन मिटाना है तो उपाय मे नही, निरुपाय मे जाना होगा। उपाय करने से मन घटता नहीं, बढ़ता है। क्योंकि, उपाय तो वही करता है। और मन ही जो करता है उससे मन कैसे मिट सकता है ? फिर क्या करें ? नहीं, करे कुछ भी नही। बस - जागे - देखे, सारी बातें। मन को ही देखे। मन के प्रति होशपूर्ण हों। और फिर धीरे-धीरे मन गलता है, पिघलता है, मिटता है। साक्षीभाव सूर्योदय की भांति मन की ओस को वाष्पीभूत कर देता है............... * ओशो * मन के पार।
( संकलन - स्वामी जीवन संगीत ) सभी मित्रों में मेरा स्तर नमन। जय ओशो।
7/30/2017
मन अस्थिरता का ही नाम है
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