12/21/2018

विनोबा भावे आत्मदर्शन २

जिनको अपने चित्त के,
सूक्ष्म विकार खत्म करने की ,
तीव्र भावना है ,
उनको भगवदाश्रय  से बढ़कर
दूसरा साधन नहीं ।
जनवरी 14
.....
सूक्ष्मतर दोष ध्यान से,
भगवती प्रसाद से,
शांति से, निर्भयता से,
नम्रता से दूर होंगे।

जनवरी 15
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सेवा करते हुए, मैं परिशुद्ध आत्मा हूँ,
इसके सिवा अन्य कुछ भी नहीं,
इस भूमिका का अभ्यास करते रहें।
यही आत्मनिष्ठा है।

जनवरी 16
.....
प्रार्थना का रहस्य
आत्मा की गहराई में लीन होने की
कोशिश करने में है।

जनवरी 17
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मनुष्य का गुण अपने खुद के स्नेह से
दुनिया को स्नेहमय बनाना है।
स्नेहवन मनुष्य को दुनिया में
स्नेह के दर्शन होने लगते हैं,
यह अनुभव है।

जनवरी 18
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हमारी प्रत्येक कृति छेनी बनकर
हमारा जीवन रूपी पत्थर गढ़ती है।
अतः छोटी-से-छोटी बातों में भी
सजग रहना चाहिए।

जनवरी 19

......
जैसे H20 = पानी,
यह समीकरण रसायन शास्त्र में आता है;
वैसे ही मैंने जीवन का एक समीकरण बनाया है
त2 + भ = जीवन।
जीवन में त्याग दो मात्रा में हो,
भोग एक मात्रा में। तब जीवन बनता है।

जनवरी 20
......

मृत्यु का स्मरण
हमारे हर एक कार्य में
रहना आवश्यक है।
ऐसा मनुष्य कभी किसी भी
झमेले में नहीं फंसेगा।

जनवरी 21
......

अपने को जानना,
यह सबसे बड़ी जानकारी है,
जो मनुष्य के लिए जरूरी है।

जनवरी 22
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होगा वही, जो परमात्मा चाहेगा।
हम तो उसके हाथ के औजार ही हो सकते हैं।
औजार भी तभी बन सकते हैं,
जब हम पूर्ण निरहंकार या शून्य बनेंगे।

जनवरी 23
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यह देखने की बात नहीं की
मुझे क्या मिलता है।
इतना ही देखना होता है कि मैं क्या देता हूं।
जो देता रहता है,
उसके आने की सीमा नहीं।

जनवरी 24
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सहज भाव से कितनी सेवा हो सकती है,
उतनी करने के अलावा
और किसी कर्तव्य की अपेक्षा
भगवान ने हमसे नहीं की है।

जनवरी 25
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निरंतर जाग्रत रहकर
चित्त की शुद्धि जो करता रहेगा,
उसके हाथ से सेवा उत्तम होगी।

जनवरी 26
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जिसका देहभाव नष्ट हुआ
और जिसने अपनी सब वासना
भगवान को सौंप दी,
उसके घर का काम
भगवान खुद करते हैं।

जनवरी 27
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भगवन्  ।

मुझे न भुक्ति चाहिए , न मुक्ती ।
मुझे भक्ति दे ।
मुझे न सिद्धि चाहिए न समाधि ,
मुझे सेवा दे ।
जनवरी 28
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हवा अपने-आप मेरे कमरे में आती है।
सूर्य अपने-आप मेरे कमरे में प्रवेश करता है।
ईश्वर भी इस प्रकार अपने-आप मिलने वाला है।
बस, मेरा कमरा खुला भर रहने दो।

जनवरी 29
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जीवन का स्वरूप है सत्य-शोधनम् ।
मनुष्य का जीवन सत्य पर खड़ा होगा,
तभी उसे आत्मा का दर्शन होगा।

जनवरी 30
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हमारे मन में कोई सुविधा नहीं होनी चाहिए
कि हमारे जीवन का उद्देश्य क्या है।
यह तो नहीं कह सकते कि
कोई स्थूल कार्य उद्देश्य है।
जीवन का उद्देश्य तो परमात्म-दर्शन ही है।

जनवरी 31
...

विनोबा भावे आत्मदर्शन

आत्मदर्शन जीवन का काव्य है।
जनवरी 1
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हमारे-आपके-सबके जीवन का लक्ष्य
इसी देह से, इन्हीं आंखों से
ब्रह्मविद्या का अनुभव करना ही
होना चाहिए   ।
जनवरी 2
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आत्मा का असली रूप और अभी का रूप,
दोनों मिलकर पूर्ण आत्मचिंतन होता है।
ये दो बिंदु निश्चित हुए कि परमार्थ-मार्ग
तैयार हो जाता है।
जनवरी 3
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मां बालक के कानों में
एक ही आवाज गूंजने दे
आत्मा आत्मा आत्मा
जनवरी 4
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जीवन की शुद्धि, अंतर की स्फूर्ति,
विराट में आत्मदर्शन और
आत्मा में विराट की अनुभूति ।
कर्मयोग के साथ-साथ हो सकती है।
इसमें विक्रम जोड़ने पड़ते हैं।
जनवरी 5
.....
अहं का लोप हुआ कि समाधि लगती है।
परंतु इससे मनुष्य का कार्य समाप्त हुआ,
ऐसा नहीं। बल्कि,
असली कार्य उसके बाद ही शुरू होता है।
मुक्ति यानी व्यापक कार्य का प्रारंभ।
जनवरी 6
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अपने भीतर  गुहा में प्रवेश करके
चिंतन करने की आदत सबको होनी चाहिए।
हमें अपने कार्य से,
अपने अहम् से और
अपनी प्रियतम भावना से भी
थोड़ा अलग होना चाहिए।
जनवरी 7
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साधना का उत्साह प्रशिक्षण
वर्धमान होते रहना ही जीवन है।
एक क्षण भी व्यर्थ न जाये,
यह पारमार्थिक साधना में
महत्त्व का सूत्र है।

जनवरी 8
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हम हमारी जिंदगी कितनी मान सकते हैं
ज्यादा-से-ज्यादा 24 घंटे की मान सकते हैं।
उससे ज्यादा मानना न केवल ज्ञान है,
बल्कि पाप है।

जनवरी 9
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आज के दिन यदि हम अपना
सब कुछ भगवान को सौंप दें तो
कल से नहीं, इसी क्षण से
हमारा सब कुछ सुधर जायेगा।

जनवरी 10
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जब मैं बहुत से लोगों को
अपनी ही चिंता में डूबे देखता हूं
तो मुझे दया आती है।
जो खुद की ही चिंता का वहन करना चाहता है,
उसकी चिंता भगवान क्या करेगा

जनवरी 11
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संसार से दूर,
मन की ऊंचाई-नीचाइयों से दूर,
शरीर की आसक्तियों  से दूर,
तटस्थ भाव से देखेंगे,
तभी ज्ञान की महान साधना
करने में सफल हो सकेंगे ।

जनवरी 12
......
हरि आगे है,
हरि पीछे है।
जहां हमारी शक्ति टूटेगी,
जहां वह प्रकट होगा।

जनवरी 13
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