|| कल्पनाओं से बचो ||
एक बाद याद रखो , मौन के अलावा, बाकी हर चीज तुम्हारी कल्पना मात्र है--वह कितनी ही सुंदर क्यों न हो।
मैं इतना ही कह सकता हूं कि मेरा समर्थन केवल तुम्हारे मौन को है। क्योंकि केवल तुम्हारे मौन में ही तुम अपने जीवन केंद्र के करीब होते हो। परम मौन में, तुम स्वयं ही केंद्र हो जाते हो।
लेकिन याद रखो-- किसी भी तरह की कल्पनाओं से बचो-- सभी कल्पनाओं से--यहां तक कि दिव्यता का आभास देती हुई सुन्दर कल्पनाओं से भी।
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