परमात्मा प्रतिपल तैयार है। तुम जरा मौका दो। तुम जरा अपने हृदय की वीणा को उसके सामने करो, तुम जरा पुकारो। और अचानक तुम पाओगे, एक दिन तुम्हारी वीणा पर किन्हीं अज्ञात अंगुलियों ने आकर अपना रास रचाना शुरू कर दिया है। कोई आ गया अज्ञात, चुपचाप, कब किस गली—कोने से, कब किस गली—द्वार से और तुम्हारी वीणा बजने लगी! मगर पुकारो।
अथातो भक्ति जिज्ञासा-31
ओशो
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