10/19/2020

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अपने आनन्द से जीओ ।
इतना ही पर्याप्त होगा कि, तुम किसी दुसरे के आनन्द मे बाधा न बनो ।
इतना ही पर्याप्त होगा कि, तुम अपने आनन्द का नृत्य नाचो और अपना गीत गाओ ।
हो सकता है तुम्हारे आनन्द की तरंग दुसरों को लग जाये और वे भी आनन्दित हो जाये ।
 थोडी गुलाल तुमसे उडे और वे भी लाल हो जाए ।
थोडा रंग तुमसे छिटके और वे भी रंग जाय ।

 तुमने सेवा की, ऐसा सोचना मत ।
कोयल गाती है । तुम क्या सोचते हो- कवियो की सेवा कर रही है,
कि लिखो कविताए ! देखो मै गा रही हु ! जागो कवियो !
उठाओ अपनी कलमे, लिखो कविताए ! मै आ गयी सेवा करने को फिर ।
कि पपीहा पुकारता है, कि संतो जागो ! कि देखो मै पीय को पुकार रहा हु ।
तुम भी पुकारो ! मै तुम्हारी सेवा करने आ गया ।
तुम इस जगत मे देखते हो कि कौन किसकी सेवा कर रहा है ?

कोयल गीत गा रही है – अपने आनन्द से ।

पपीहा पुकार रहा है – अपने रस मे विमुग्ध हो ।

फूल खिले है- अपने रस से । 

चॉद तारे चलते है अपनी उर्जा से ।

तुम भी तो अपने मे जीओ.......

ओशो

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