🌹 तुम मौत को याद रखो 🌹
〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️
जिस शरीर के लिए तुम सारी दौड़-धूप कर रहे हो, जिस धन के लिए सारा जीवन अपना समाप्त कर रहे हो, अमूल्य समय को नष्ट कर रहे हो, अवसर को खो रहे हो, जब मौत द्वार पर आ जायेगी तो तुम्हारा लाभ, लाभ सिद्ध न होगा; तुम्हारा धन, धन सिद्ध न होगा। तब कितना बैंक में बैलेंस है इसका कोई मूल्य न होगा, तब अचानक तुम्हारे सामने सारे जीवन का भ्रम टूट जायेगा। तब तुम पाओगे व्यर्थ ही दौड़ते रहे। खिलौने इकट्ठे किए, कागज की नावें चलाईं, सब सपने टूट गये; सब इंद्रधनुष गिर गये। तब तुम अपने को दीन हीन पाओगे; बड़े से बड़े सम्राट भी उसी दीन हीनता में अपने को पाते हैं।
इसके पहले सम्हल जाओ। इसके पहले जाग जाओ। और जगाने वाली एक ही चीज है जगत में, और वह इस निश्चय से भर जाओ कि तुम जो भी हो, जैसे हो अभी, यह अमृत नहीं है; यह मरणधर्मा है। तुम जैसे हो, यह तुम्हारा जो अहंकार और व्यक्तित्व है, यह खो जायेगा। पानी का बबूला है। यह फूटने को ही है। कितनी देर टिकेगा, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। सात साल कि सत्तर साल, क्या करोगे? यह बबूला टूटेगा, यह फूटने ही वाला है। कितने बबूले फूटते रहे। तुम भी उन्हीं बबूलों की संतति हो, तुम भी खो जाओगे।
इसके पहले कि यह बबूला टूटे, तुम उसकी खोज कर लो जो कभी नष्ट नहीं होता।
तुम मरणधर्मा के भीतर हो, लेकिन अमृत का स्वर तुम्हारे केंद्र पर बज रहा है। तुम परिधि को थोड़ा छोड़ो, और केंद्र की थोड़ी सुध लो। तुम थोड़ा आंख बंद करो, बाहर कम देखो, और भीतर देखो। तुम थोड़ा भीतर सुनो, वह अनाहत नाद वहां बज रहा है।
तुम मौत को याद रखो, वही तुम्हारा ध्यान बन जाये। तुम पाओगे जीवन बदलने लगा। क्रोध मुश्किल हो जायेगा, किस पर क्रोध करना है? शोषण मुश्किल हो जायेगा, किसका शोषण करना है? किसके लिए शोषण करना है? हानि-लाभ बच्चों की बातें हो जायेंगी।
तुम जीओगे यहीं, लेकिन अगर मौत तुम्हें याद रहे, तो तुम चारों तरफ पाओगे कि एक बड़ा सपना है। लंबा चलता है, लेकिन है सपना। तुम्हारे भीतर द्रष्टा धीरे धीरे जगने लगेगा। मौत की जिसे याद आई, वह साक्षी बन जाता है। मौत को जो भूला, वह कर्ता बन जाता है। मौत की जिसे याद आई, वह असली लाभ की तरफ लग जाता है; मौत जिसे भूली, वह व्यर्थ के लाभ में उलझा रह जाता है। और मौत के पीछे छिपा है अमृत का द्वार। वह तुम्हें याद आ जाये तो अमृत ज्यादा दूर नहीं है ।
0 comments:
Post a Comment