रोज तो तुम नये जन्मते बच्चों को देखते हो रोज तो तुम बूढ़ो की अर्थियां उठते देखते हो, तुम्हें कब समझ में आएगा, की जो जन्मा वह मरेगा जो बना वो मिटेगा।
ये खेल घडी दो घडी का है, इससे पहले की जीवन का अवसर युहीं खो जाए, कंकड़ पत्थर बीनने में जाग जाना जरूरी है। 0SH0
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