2/28/2020
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शुद्धता अन्तस की होनी चाहिए, अन्तस शुद्ध होगा तो हम जो भी करेंगे वो पुण्य ही होगा, शुद्ध अन्तस से पाप हो ही नहीं सकता । और यदि अन्तस शुद्ध नहीं है तो हम जो भी करेंगे वो गलत ही होगा, पूण्य भी करना चाहेंगे तो भी ग़लत ही होगा, अशुद्ध अन्तस पूण्य सम्भव ही नहीं है । अन्तस की शुद्धता पूजा पाठ से, धर्म स्थलों पर जाने से, तीर्थ यात्रा पर जाने से, धर्म शास्त्रों के अध्ययन से सम्भव नहीं है । अन्तस शुद्ध होता है ध्यान से, प्रेमपूर्ण चित्त से, करूणा से। प्रेमपूर्ण, करूणावान , और ध्यानस्थ चित्त से ही अन्तस शुद्ध होता है ।
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