1/21/2020

शिव पुराण

आद्यन्तमंगलमजातसमानभाव
मार्यं तमीशमजरामरमात्मदेवं
पञ्चाननं प्रबलपञ्चविनोद्शीलं
सम्भावये मनसि शंकरमम्बिकेशम  

अर्थ:- जो आदि और अंत में (तथा मध्य में भी ) नित्य मंगलमय हैं जिनकी समानता अथवा तुलना कहीं भी नही है ,जो आत्मा के स्वरुप को प्रकाशित करनेवाले देवता (परमात्मा) हैं ,जिनके पांच मुख हैं जो खेल ही खेल में---अनायास जगत की रचना,पालन और संहार तथा अनुग्रह एवं तिरोभावरूप पांच प्रबल कर्म करते रहते हैं,उन सर्वश्रेष्ठ अजर-अमर इश्वर अम्बिकापति भगवान् शंकर का मन मन ही मन चिंतन करता हूँ

http://shivpuraan.blogspot.com/2012/12/blog-post_8.html?m=1

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