#sufi #spirituality
अगर है शौक मिलने का, तो हरदम लौ लगाता जा,
जलाकर ख़ुदनुमाई को, भसम तन पर लगाता जा।
पकड़कर इश्क की झाड़ू, सफा कर हिज्र-ए-दिल को,
दुई की धूल को लेकर, मुसल्ले पर उड़ाता जा।
मुसल्ला छोड़, तसवी तोड़, किताबें डाल पानी में,
पकड़ तू दस्त फरिश्तों का, गुलाम उनका कहाता जा।
न मर भूखा, न रख रोज़ा, न जा मस्जिद, न कर सज्दा,
वजू का तोड़ दे कूजा, शराबे शौक पीता जा।
हमेशा खा, हमेशा पी, न गफलत से रहो एकदम
नशे में सैर कर अपनी, ख़ुदी को तू जलाता जा।
न हो मुल्ला, न हो बह्मन, दुई की छोड़कर पूजा,
हुकुम शाहे कलंदर का, अनल हक तू कहाता जा।
कहे ‘मंसूर‘ मस्ताना, ये मैंने दिल में पहचाना,
वही मस्तों का मयख़ाना, उसी के बीच आता जा।
https://youtu.be/Wt0E8dDhtIQ
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