6/29/2017

मृत्यु पवित्रम स्नान

मृत्यु ,--------पवित्रम स्नान

मौत तुम्हारा अहंकार छीनेगी, तुम्हारी आत्मा नहीं। मौत तुम्हारी देह छीनेगी, तुम्हारी देह में बसे हुए को नहीं। मौत तुम्हारी पद—प्रतिष्ठा छीनेगी, तुम्हें नहीं। मौत तुम्हारी धन—दौलत छीन लेगी, तुम्हें नहीं। मौत तुम्हारा मेरा तेरा छीन लेगी, तुम्हें नहीं। पछताओगे बहुत जब मौत आकर सब छीनने लगेगी और एक—एक भवन गिरने लगेगा—जिस पर तुमने जीवन लगा दिया था, जिस पर तुमने सब गंवाया था—तब तुम बहुत पछताओगे। लेकिन तब बहुत देर हो गई होगी। जो पहले ही जाग जाता है, वह भ्रांतियां नहीं खड़ी करता है। जो भ्रांतियां खड़ी नहीं करता, उसके पास कुछ होता ही नहीं जिसको मौत छीन
ले। उसी आदमी को ज्ञानी कहते हैं जिसके पास ऐसा कुछ है जो मौत नहीं छीन सकती

*ओशो*
*का सोवै  दिन रैन-9*

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